व्याकुल आज तन-मन-प्राण
व्याकुल आज तन-मन-प्राण! तन बदन का स्पर्श भूला, पुलक भूला, हर्ष भूला, आज अधरों से अपरिचित हो गई मुस्कान! व्याकुल आज तन-मन-प्राण! मन नहीं मिलता किसी से, मन नहीं खिलता किसी से, आज उर-उल्लास का भी हो गया अवसान! व्याकुल आज तन-मन-प्राण! आज गाने का न दिन है, बात करना भी कठिन है, कंठ-पथ में क्षीण श्वासें हो रहीं लयमान! व्याकुल आज तन-मन-प्राण

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