अकेलेपन का बल पहचान
अकेलेपन का बल पहचान। शब्द कहाँ जो तुझको, टोके, हाथ कहाँ जो तुझको रोके, राह वही है, दिशा वही, तू करे जिधर प्रस्थान। अकेलेपन का बल पहचान। जब तू चाहे तब मुस्काए, जब चाहे तब अश्रु बहाए, राग वही है तू जिसमें गाना चाहे अपना गान। अकेलेपन का बल पहचान। तन-मन अपना, जीवन अपना, अपना ही जीवन का सपना, जहाँ और जब चाहे कर दे तू सब कुछ बलिदान। अकेलेपन का बल पहचान।

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