गंध आती है सुमन की
गंध आती है सुमन की! किस कुसुम का श्वास छूटा? किस कली का भाग्य फूटा? लुट गयी सहसा खुशी इस कालिमा में किस चमन की? गंध आती है सुमन की! आज कवि का हृदय टूटा, आज कवि का कंठ फूटा, विश्व समझेगा हुई क्षति आज क्या मेरे भवन की! गंध आती है सुमन की! अल्प गंध, विशाल आँगन, गीत क्षीण, प्रचंड़ क्रंदन, है असंभव गमक, गुंजन, एक ही गति है कुसुम के प्राण की, कवि के वचन की! गंध आती है सुमन की!

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