क्या दंड़ के मैं योग्य था?
क्या दंड़ के मैं योग्य था! चलता रहूँ यह चाह दी, पर एक ही तो राह दी, किस भाँति होती दूसरी इस देह-यात्रा की कथा! क्या दंड़ के मैं योग्य था! तेरी रजा पर मैं चला, तब क्या बुरा, तब क्या भला, फिर भी मुझे मिलती सजा, तेरी निराली है प्रथा! क्या दंड़ के मैं योग्य था! यह दंड़ तेरे हाथ का है चिह्न तेरे साथ का इस दंड़ से मैं मुक्त हो जाता कभी का, अन्यथा! क्या दंड़ के मैं योग्य था?

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