मैं था मेरी मधुबाला थी
(१) मैं था, मेरी मधुबाला थी, अधरों में थी प्यास भरी, नयनों में थे स्वप्न सुनहले, कानों में थी स्वर लहरी; सहसा एक सितारा बोला, ’यह न रहेगा बहुत दिनों तक!’ (२) मैं था औ मेरी छाया थी, अधरों पर था खारा पानी, नयनों पर था तम का पर्दा, कानों में थी कथा पुरानी; सहसा एक सितारा बोला, ’यह न रहेगा बहुत दिनों तक!’ (३) अनासक्त था मैं सुख-दुख से, अधरों के कटु-कधु समान था, नयनों को तम-ज्योति एक-सी, कानों को सम रुदन-गान था, सहसा एक सितारा बोला, ’यह न रहेगा बहुत दिनों तक!’

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