जैसा गाना था गा न सका
जैसा गाना था, गा न सका! गाना था वह गायन अनुपम, क्रंदन दुनिया का जाता थम, अपने विक्षुब्ध हृदय को भी मैं अब तक शांत बना न सका! जैसा गाना था, गा न सका! जग की आहों को उर में भर कर देना था, मुझको सस्वर, निज आहों के आशय को भी मैं जगती को समझा न सका! जैसा गाना था, गा न सका! जन-दुख-सागर पर जाना था, डुबकी ले थाह लगाना था, निज आँसू की दो बूँदों में मैं कूल-किनारा पा न सका! जैसा गाना था, गा न सका!

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