चाँद-सितारों मिलकर गाओ
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! आज अधर से अधर मिले हैं, आज बाँह से बाँह मिली, आज हृदय से हृदय मिले हैं, मन से मन की चाह मिली; चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! चाँद-सितारे, मिलकर बोले, कितनी बार गगन के नीचे प्रणय-मिलन व्यापार हुआ है, कितनी बार धरा पर प्रेयसि- प्रियतम का अभिसार हुआ है! चाँद-सितारे, मिलकर बोले। चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! आज अधर से अधर अलग है, आज बाँह से बाँह अलग आज हृदय से हृदय अलग है, मन से मन की चाह अलग; चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! चाँद-सितारे, मिलकर बोले, कितनी बार गगन के नीचे अटल प्रणय का बंधन टूटे, कितनी बार धरा के ऊपर प्रेयसि-प्रियतम के प्रण टूटे? चाँद-सितारे, मिलकर बोले।

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