छल गया जीवन मुझे भी
छल गया जीवन मुझे भी। देखने में था अमृत वह, हाथ में आ मधु गया रह और जिह्वा पर हलाहल! विश्व का वचन मुझे भी। छल गया जीवन मुझे भी। गीत से जगती न झूमी, चीख से दुनिया न घूमी, हाय, लगते एक से अब गान औ’ क्रंदन मुझे भी। छल गया जीवन मुझे भी। जो द्रवित होता न दुख से, जो स्रवित होता न सुख से, श्वास क्रम से किंतु शापित कर गया पाहन मुझे भी। छल गया जीवन मुझे भी।

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