वह साल गया, यह साल चला
वह साल गया, यह साल चला। मित्रों ने हर्ष-बधाई दी, मित्रों को हर्ष-बधाई दी, उत्तर भेजा, उत्तर आया, ’नूतन प्रकाश’, ’नूतन प्रभात’ इत्यादि शब्द कुछ दिन गूँजे, फिर मंद पड़े, फिर लुप्त हुए, फिर अपनी गति से काल चला; वह साल गया, यह साल चला। आनेवाला ’कल’ ’आज’ हुआ, जो ’आज’हुआ ’कल’ कहलाया, पृथ्वी पर नाचे रात-दिवस, नभ में नाचे रवि-शशि-तारे, निश्चित गति रखकर बेचारे। यह मास गया, वह मास गया, ॠतु-ऋतु बदली, मौसम बदला; वह साल गया, यह साल चला। झंझा-सनसन, घन घन-गर्जन, कोकिल-कूजन, केकी-क्रंदन, अख़बारी दुनिया की हलचल, संग्राम-सन्धि, दंगा-फसाद, व्याख्यान, विविघ चर्चा-विवाद, हम-तुम यह कहकर भूल गए, यह बुरा हुआ, यह हुआ भला; वह साल गया, यह साल चला।

Read Next