प्रेयसि, याद है वह गीत?
प्रेयसि, याद है वह गीत? गोद में तुझको लेटाकर, कंठ में उन्मत्त स्वर भर, गा जिसे मैंने लिया था स्वर्ग का सुख जीत! प्रेयसि, याद है वह गीत? है न जाने तू कहाँ पर, कंठ सूखा, क्षीणतर स्वर, सुन जिसे मैं आज हो उठता स्वयं भयभीत! प्रेयसि, याद है वह गीत? तू न सुनने को रही जब, राग भी जब वह गया दब, तब न मेरी जिंदगी के दिन गये क्यों बीत! प्रेयसि, याद है वह गीत?

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