तिल में किसने ताड़ छिपाया
तिल में किसने ताड़ छिपाया? छिपा हुआ था जो कोने में, शंका थी जिसके होने में, वह बादल का टुकड़ा फैला, फैल समग्र गगन में छाया। तिल में किसने ताड़ छिपाया? पलकों के सहसा गिरने पर धीमे से जो बिन्दु गए झर, मैंने कब समझा था उनके अंदर सारा सिंधु समाया। तिल में किसने ताड़ छिपाया? कर बैठा था जो अनजाने, या कि करा दी थी सृष्टा ने, उस ग़लती ने मेरे सारे जीवन का इतिहास बनाया। तिल में किसने ताड़ छिपाया?

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