एकांत संगीत (कविता)
तट पर है तरुवर एकाकी, नौका है, सागर में, अंतरिक्ष में खग एकाकी, तारा है, अंबर में, भू पर वन, वारिधि पर बेड़े, नभ में उडु खग मेला, नर नारी से भरे जगत में कवि का हृदय अकेला!

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