कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ
कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ? क्या तुम लाई हो चितवन में, क्या तुम लाई हो चुंबन में, अपने कर में क्या तुम लाई, क्या तुम लाई अपने मन में, क्या तुम नूतन लाई जो मैं फ़िर से बंधन झेलूँ? कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ? अश्रु पुराने, आह पुरानी, युग बाहों की चाह पुरानी, उथले मन की थाह पुरानी, वही प्रणय की राह पुरानी, अर्ध्य प्रणय का कैसे अपनी अंतर्ज्वाला में लूँ? कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ? खेल चुका मिट्टी के घर से, खेल चुका मैं सिंधु लहर से, नभ के सूनेपन से खेला, खेला झंझा के झर-झर से; तुम में आग नहीं है तब क्या, संग तुम्हारे खेलूँ? कैसे भेंट तुम्हारी ले लूँ?

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