क्षीण कितना शब्द का आधार
क्षीण कितना शब्द का आधार! मौन तुम थीं, मौन मैं था, मौन जग था, तुम अलग थीं और मैं तुमसे अलग था, जोड़-से हमको गये थे शब्द के कुछ तार। क्षीण कितना शब्द का आधार! शब्दमय तुम और मैं जग शब्द से भर पूर, दूर तुम हो और मैं हूँ आज तुमसे दूर, अब हमारे बीच में है शब्द की दीवार। क्षीण कितना शब्द का आधार! कौन आया और किसके पास कितना, मैं करूँ अब शब्द पर विश्वास कितना, कर रहे थे जो हमारे बीच छ्ल-व्यापार! क्षीण कितना शब्द का आधार!

Read Next