बदला ले लो सुख की घड़ियों
बदला ले लो, सुख की घड़ियों! सौ-सौ तीखे काँटे आये फिर-फिर चुभने तन में मेरे! था ज्ञात मुझे यह होना है क्षण भंगुर स्वप्निल फुलझड़ियों! बदला ले लो, सुख की घड़ियों! उस दिन सपनों की झाँकी में मैं क्षण भर को मुस्काया था, मत टूटो अब तुम युग-युग तक, हे खारे आँसू की लड़ियों! बदला ले लो, सुख की घड़ियों! मैं कंचन की जंजीर पहन क्षण भर सपने में नाचा था, अधिकार, सदा को तुम जकड़ो मुझको लोहे की हथकड़ियों! बदला ले लो, सुख की घड़ियों!

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