आज मलार कहीं तुम छेड़े, मेरे नयन भरे आते हैं
आज मलार कहीं तुम छेड़े, मेरे नयन भरे आते हैं। तुमने आह भरी कि मुझे था झंझा के झोंकों ने घेरा, तुम मुस्काए थे कि जुन्हाई में था डूब गया मन मेरा, तुम जब मौन हुए थे मैंने सूनेपन का दिल देखा था, आज मलार कहीं तुम छेड़े, मेरे नयन भरे आते हैं। तुम हो मेरे कौन? जगत के सम्मानित नातों की सूची, ऊपर से नीचे तक मैंने देखी बार अनेक समूची, कह न सका कुछ, बतलाए तो कोई, अस्फुट प्राणों के स्वर, ध्वनित प्रतिध्वनित जो होते हैं, आपस में क्या कहलाते हैं। आज मलार कहीं तुम छेड़े, मेरे नयन भरे आते हैं।

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