याद तुम्हारी लेकर सोया, याद तुम्हारी लेकर जागा
याद तुम्हारी लेकर सोया, याद तुम्हारी लेकर जागा। सच है, दिन की रंग रँगीली दुनिया ने मुझको बहकाया, सच, मैंने हर फूल-कली के ऊपर अपने को ड़हकाया, किंतु अँधेरा छा जाने पर अपनी कथा से तन-मन ढक, याद तुम्हारी लेकर सोया, याद तुम्हारी लेकर जागा। वन खंड़ों की गंध पवन के कंधो पर चढ़कर आती है, चाल परों की ऐसे पल में पंथ पूछने कब जाती है, शिथिल भँवर की शरणजलज की सलज पखुरियाँ ही बनतीं हैं, प्राण, तुम्हारी सुधि में मैंने अपना रैन-बसेरा माँगा। याद तुम्हारी लेकर सोया, याद तुम्हारी लेकर जागा।

Read Next