यह चाँद नया है नाव नई आशा की
यह चाँद नया है नाव नई आशा की। आज खड़ी हो छत पर तुमने होगा चाँद निहारा, फूट पड़ी होगी नयनों से सहसा जल की धारा, इसके साथ जुड़ीं जीवन की कितनी मधुमय घड़ियाँ, यह चाँद नया है नाव नई आशा की। सात समुंदर बीच पड़े हैं हम दो दूर किनारे, किंतु गगन में चमक रहे हैं दो तारे अनियारे, मैं इनके ही संग-सहारे स्वप्न तरी में बैठा गाता आ जाऊँगा तुम तक एकाकी। यह चाँद नया है नाव नई आशा की।

Read Next