बीन आ छेडूँ तुझे, मन में उदासी छा रही है
बीन, आ छेडूँ तुझे, मन में उदासी छा रही है। लग रहा जैसे कि मुझसे है सकल संसार रूठा, लग रहा जैसे कि सबकी प्रीति झूठी, प्यार झूठा, और मुझ-सा दीन, मुझ-सा हीन कोई भी नहीं है, बीन, आ छेडूँ तुझे, मन में उदासी छा रही है। दोष, दूषण, दाग़ अपने देखने जब से लगा हूँ, जानता हूँ मैं किसी का हो नहीं सकता सगा हूँ, और कोई क्यों बने मेरा, करे परवाह मेरी, तू मुझे क्या सोच अपनाती रही, अपना रही है? बीन, आ छेडूँ तुझे, मन में उदासी छा रही है।

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