सो न सकूँगा और न तुझको सोने दूँगा, हे मन बीने
सो न सकूँगा और न तुझको सोने दूँगा, हे मन बीने। इसीलिए क्या मैंने तुझसे साँसों के संबंध बनाए, मैं रह-रहकर करवट लूँ तू मुख पर डाल केश सो जाए, रैन अँधेरी, जग जा गोरी, माफ़ आज की हो बरजोरी सो न सकूँगा और न तुझको सोने दूँगा, हे मन बीने। सेज सजा सब दुनिया सोई यह तो कोई तर्क नहीं है, क्या मुझमें-तुझमें, दुनिया में सच कह दे, कुछ फर्क नहीं है, स्वार्थ-प्रपंचों के दुःस्वप्नों में वह खोई, लेकिन मैं तो खो न सकूँगा और न तुझको खोने दूँगा, हे मन बीने। सो न सकूँगा और न तुझको सोने दूँगा, हे मन बीने।

Read Next