पटेल के प्रति
यही प्रसिद्ध लौह का पुरुष प्रबल यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल, हिला इसे सका कभी न शत्रु दल, पटेल पर, स्वदेश को गुमान है। सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किये जगह, हृदय गंभीर है समुद्र की तरह, क़दम छुए हुए ज़मीन की सतह, पटेल देश का निगाह-बान है। हरेक पक्ष को पटेल तोलता, हरेक भेद को पटेल खोलता, दुराव या छिपाव से उसे ग़रज़? सदा कठोर नग्न सत्य बोलता, पटेल हिंद की निडर ज़बान है।

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