बोलकर जो जय उठाते हाथ,
उनकी जाति है नत-शीश,
उनका देश है नत-माथ,
अचरज की नहीं क्या बात?
इष्ट जिनके देवता हैं राम
उनकी जाति आज अशक्त,
उनका देश आज गुलाम,
विधि की गति नहीं क्या वाम?
मुक्ति जिनके जन्म का आदर्श
बंधन में पड़े वे आज,
बंधन की तजे वे लाज
क्यों हैं? बोल, भारतवर्ष!