आजाद हिन्दुस्तान का आह्वान
कर रहा हूँ आज मैं आज़ाद हिंदुस्तान का आह्वान! है भरा हर एक दिल में आज बापू के लिए सम्मान, हैं छिड़े हर एक दर पर क्रान्ति वीरों के अमर आख्यान, हैं उठे हर एक दर पर देश-गौरव के तिरंग निशान, गूँजता हर एक कण में आज वंदे मातरम का गान, हो गया है आज मेरे राष्ट्र का सौभाग्य स्वर्ण-विहान; कर रहा हूँ आज मैं आज़ाद हिंदुस्तान का आह्वान! याद वे, जिनकी जवानी खा गई थी जेल की दीवार, याद, जिनकी गर्दनों ने फाँसियों से था किया खिलवार, याद, जिनके रक्त से रंगी गई संगीन की खर धार, याद, जिनकी छातियों ने गोलियों की थी सही बौछार, याद करते आज ये बलिदान हमको दुख नहीं, अभिमान, है हमारी जीत आज़ादी, नहीं इंग्लैंड का वरदान; कर रहा हूँ आज मैं आज़ाद हिंदुस्तान का आह्वान! उन विरोधी शक्तियों की आज भी तो चल रही है चाल, यह उन्हीं की है लगाई, उठ रही जो घर-नगर से ज्वाल, काटता उनके करों से एक भाई दूसरे का भाल, आज उनके मंत्र से है बन गया इंसान पशु विकराल, किन्तु हम स्वाधीनता के पंथ-संकट से नहीं अनजान, जन्म नूतन जाति, नूतन राष्ट्र का होता नहीं आसान; कर रहा हूँ आज मैं आजाद हिंदुस्तान का आह्वान! जब बंधे थे पाँव तब भी हम रुके थे हार कर किस ठौर? है मिटा पाया नहीं हमको ज़माने का समूचा दौर, हम पहुँचना चाहते थे जिस जगह पर यह नहीं वह ठौर, जिस लिए भारत जिया आदर्श वह कुछ और, वह कुछ और; आज के दिन की महत्ता है कि बेड़ी से मिला है त्राण, और ऊँची मंजिलों पर हम करेंगे आज से प्रस्थान, कर रहा हूँ आज मैं आजाद हिंदुस्तान का आह्वान! आज से आजाद रहने का तुझे है मिल गया अधिकार, किंतु उसके साथ जिम्मेदारियों का शीश पर है भार, दीप-झंडों के प्रदर्शन और जय-जयकार के दिन चार, किंतु जाँचेगा तुझे फिर सौ समस्या से भरा संसार; यह नहीं तेरा, जगत के सब गिरों का गर्वमय उत्थान, आज तुझसे बद्ध सारे एशिया का, विश्व का कल्याण, कर रहा हूँ आज मैं आजाद हिंदुस्तान का आह्वान!

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