नवीन वर्ष
तमाम साल जानता कि तुम चले, निदाघ में जले कि शीत में गले, मगर तुम्हें उजाड़ खण्ड ही मिले, मनुष्य के लिए कलंक हारना। अतीत स्वप्न, मानता, बिखर गया, अतीत, मानता, निराश कर गया, अतीत, मानता, निराश कर गया, तजो नहीं भविष्य को सिंगारना। नवीन वर्ष में नवीन पथ वरो, नवीन वर्ष में नवीन प्रण करो, नवीन वर्ष में नवीन रस भरो, धरो नवीन देश-विश्व धारणा।

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