मनुष्य की निर्ममता
आज निर्मम हो गया इंसान। एक ऐसा भी समय था, कांपता मानव हृदय था, बात सुनकर, हो गया कोई कहीं बलिदान। आज निर्मम हो गया इंसान। एक ऐसा भी समय है, हो गया पत्थर हृदय है, एक देता शीश, सोता एक चादर तान। आज निर्मम हो गया इंसान। किंतु इसका अर्थ क्या है, खड्ग ले मानव खड़ा है, स्वयं उर में घाव करता, स्वयं घट में रक्त भरता, और अपना रक्त अपने आप करता पान। आज निर्मम हो गया इंसान।

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