व्याकुलता का केन्द्र
जग की व्याकुलता का केंद्र— जहाँ छिड़ा लोहित संग्राम, जहाँ मचा रौरव कुहराम, पटा हताहत से जो ठाम! वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं। जग की व्याकुलता का केंद्र। जहां बली का अत्याचार, जहां निबल की चीख-पुकार, रक्त, स्वेद, आँसू की धार! वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं है, वहां नहीं। जग की व्याकुलता का केंद्र। जहाँ घृणा करती है वास, जहाँ शक्ति की अनबुझ प्यास, जहाँ न मानव पर विश्वास, उसी हृदय में, उसी हृदय में, उसी हृदय में, वहीं, वहीं। जग की व्याकुलता का केंद्र।

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