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गाँधी : अन्याय अत्याचार की दासत्व सहती मूर्च्छिता-मृत जाति की जड़ शून्यता में कड़कड़ाती बिजलियों की प्रबल आँधी : ज्योति-जीवन-जागरण घन का तुमुल उल्लास! गाँधी : स्वार्थपरता,क्षुद्रता,संकीर्णता की सम्प्रदायी आँधियों में, डोलती,डिगती,उखड़ती, ध्वस्त होती,अस्त होगी, आस्थाओं,मान्यताओं में, अतल आदर्श की चट्टान पर जगती हुई लौ का करुण उच्छ्वास! गाँधी : बुत पत्थरों का,मूक, मिट्टी का खिलौना, रंग-बिरंगा चित्र, छुट्टी का दिवस, देशान्तरों में पुस्तकालयों को समर्पित किये जाने के लिए सरकार द्वारा, आर्ट पेपर पर,प्रकाशित राष्ट्र का इतिहास!

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