ताजमहल
जाड़ों के दिन थे,दोनों बच्चे अमित अजित सर्दी की छुट्टी में पहाड़ के कालेज से घर आये थे,जी में आया,सब मोटर से आगरे चलें,देखें शोभामय ताजमहल जिसकी प्रसिद्धि सारी जगती में फैली है, जिससे आकर्षित होकर आया करते हैं दर्शक दुनियाँ के हर हिस्से,हर कोने से; आगरा और दिल्ली के बीच सड़क पक्की; दफ्तर के कोल्हू पर चक्कर देते-देते जी ऊबा है,दिल बहलेगा,पिकनिक होगी. तड़के चलकर हम आठ बजे मथुरा पंहुचे; मैंने बच्चों से कहा,'यही वह मथुरा है जो जन्मभूमि है कृष्णचंद्र आनंदकंद की, जिसके पेड़े हैं प्रसिद्ध भारत भर में!' बच्चे बोले,'हम जन्मभूमि देखेंगे,पेड़े खाएंगे.'

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