मैंने दुर्दिन में गाया है
मैंने दुर्दिन में गाया है! दुर्दिन जिसके आगे रोता, बंदी सा नतमस्तक होता, एक न एक समय दुनिया का एक-एक प्राणी आया है! मैंने दुर्दिन में गाया है! जीवन का क्या भेद बताऊँ, जगती का क्या मर्म जताऊँ, किसी तरह रो-गाकर मैंने अपने मन को बहलाया है! मैंने दुर्दिन में गाया है! साथी, हाथ पकड़ मत मेरा, कोई और सहारा तेरा, यही बहुत, दुख दुर्बल तूने मुझको अपने सा पाया है! मैंने दुर्दिन में गाया है!

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