साथी, अन्त दिवस का आया
साथी, अन्त दिवस का आया! तरु पर लौट रहे हैं नभचर, लौट रहीं नौकाएँ तट पर, पश्चिम की गोदी में रवि की श्रात किरण ने आश्रय पाया! साथी, अन्त दिवस का आया! रवि-रजनी का आलिंगन है, संध्या स्नेह मिलन का क्षण है, कात प्रतीक्षा में गृहिणी ने, देखो, घर-घर दीप जलाया! साथी, अन्त दिवस का आया! जग के विस्तृत अंधकार में, जीवन के शत-शत विचार में हमें छोड़कर चली गई, लो, दिन की मौन संगिनी छाया! साथी, अन्त दिवस का आया!

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