मैंने खेल किया जीवन से
मैंने खेल किया जीवन से! सत्‍य भवन में मेरे आया, पर मैं उसको देख न पाया, दूर न कर पाया मैं, साथी, सपनों का उन्‍माद नयन से! मैंने खेल किया जीवन से! मिलता था बेमोल मुझे सुख, पर मैंने उससे फेरा मुख, मैं खरीद बैठा पीड़ा को यौवन के चिर संचित धन से! मैंने खेल किया जीवन से! थे बैठे भगवान हृदय में, देर हुई मुझको निर्णय में, उन्‍हें देवता समझा जो थे कुछ भी अधिक नहीं पाहन से! मैंने खेल किया जीवन से!

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