मैं उसे फिर पा गया था
मैं उसे फिर पा गया था! था वही तन, था वही मन, था वही सुकुमार दर्शन, एक क्षण सौभाग्य का छूटा हुआ-सा आ गया था! मैं उसे फिर पा गया था! वह न बोली, मैं न बोला, वह न डोली, मैं न डोला, पर लगा पल में युगों का हाल-चाल बता गया था! मैं उसे फिर पा गया था! चार लोचन डबडबाए! शब्द सुख कैसे बताए? देवता का अश्रु मानव के नयन में छा गया था! मैं उसे फिर पा गया था!

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