आज मुझसे दूर दुनिया
आज मुझसे दूर दुनिया! भावनाओं से विनिर्मित, कल्पनाओं से सुसज्जित, कर चुकी मेरे हृदय का स्वप्न चकनाचूर दुनिया! आज मुझसे दूर दुनिया! ’बात पिछली भूल जाओ, दूसरी नगरी बसाओ’— प्रेमियों के प्रति रही है, हाय, कितनी क्रूर दुनिया! आज मुझसे दूर दुनिया! वह समझ मुझको न पाती, और मेरा दिल जलाती, है चिता की राख कर में, माँगती सिंदूर दुनिया! आज मुझसे दूर दुनिया!

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