हूँ जैसा तुमने कर डाला
हूँ जैसा तुमने कर डाला! पूण्य किया, पापों में डूबा, सुख से ऊबा, दुख से ऊबा, हमसे यह सब करा तुम्हीं ने अपना कोई अर्थ निकाला! हूँ जैसा तुमने कर डाला! क्षय मेरा निर्माण जगत का लय मेरा उत्थान जगत का जग की ओर हमारा तुमने जोड़ दिया संबंध निराला! हूँ जैसा तुमने कर डाला! पूछा जब, ’क्या जीवन जग में?’ कभी चहककर किसी विहग में! कभी किसी तरु में कर ’मरमर’प्रश्न हमारा तुमने टाला! हूँ जैसा तुमने कर डाला!

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