यह अरुण चूड़ का तरुण राग
यह अरुण-चूड़ का तरुण राग! सुनकर इसकी हुंकार वीर हो उठा सजग अस्थिर समीर, उड चले तिमिर का वक्ष चीर चिड़ियों के पहरेदार काग! यह अरुण-चूड़ का तरुण राग! जग पड़ा खगों का कुल महान, छिड़ गया सम्मिलित मधुर गान, पौ फटी, हुआ स्वर्णिम विहान, तम चला भाग, तम गया भाग! यह अरुण-चूड़ का तरुण राग! अब जीवन-जागृति-ज्योति दान परिपूर्ण भूमितल, आसमान, मानो कण-कण की एक तान, सोना न पड़ेगा पुनः जाग! यह अरुण-चूड़ का तरुण राग!

Read Next