साथी, कर न आज दुराव
साथी, कर न आज दुराव! खींच ऊपर को भ्रुओं को रोक मत अब आँसुओं को, सह सकेगी भार कितना यह नयन की नाव! साथी, कर न आज दुराव! व्यक्त कर दे अश्रु कण से, आह से, अस्फुट वचन से, प्राण तन-मन को दबाए जो हृदय के भाव! साथी, कर न आज दुराव! रो रही बुलबुल विकल हो इस निशा में धैर्य धन खो, वह कहीं समझे न उसके ही हृदय में घाव! साथी, कर न आज दुराव!

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