तू क्यों बैठ गया है पथ पर?
तू क्यों बैठ गया है पथ पर? ध्येय न हो, पर है मग आगे, बस धरता चल तू पग आगे, बैठ न चलनेवालों के दल में तू आज तमाशा बनकर! तू क्यों बैठ गया है पथ पर? मानव का इतिहास रहेगा कहीं, पुकार-पुकार कहेगा- निश्चय था गिर मर जाएगा चलता किंतु रहा जीवन भर! तू क्यों बैठ गया है पथ पर? जीवित भी तू आज मरा-सा, पर मेरी तो यह अभिलाषा- चिता-नि‍कट भी पहुँच सकूँ मैं अपने पैरों-पैरों चलकर! तू क्यों बैठ गया है पथ पर?

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