आज घिरे हैं बादल, साथी
आज घिरे हैं बादल, साथी! भरा हृदय नभ विगलित होकर आज बिखर जाएगा भूपर, चार नयन भी साथ गगन के आज पड़ेंगे ढल-ढल, साथी! आज घिरे हैं बादल, साथी! आँसू का बल हमें कभी था आँचल गीला किया जभी था जग जीवन की सब सीमाएँ ढहीं-बहीं थीं गल-गल, साथी! आज घिरे हैं बादल, साथी! अब आँसू उर ज्वाल बुझाते तो भी हम कुछ सुख पा जाते! इन जल की बूँदों से उर के घाव उठेंगे जल-जल, साथी! आज घिरे हैं बादल, साथी!

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