मैं गाता, शून्य सुना करता
मैं गाता, शून्य सुना करता! इसको अपना सौभाग्य कहूँ, अथवा दुर्भाग्य इसे समझूँ, वह प्राप्त हुआ बन चिर-संगी जिससे था मैं पहले डरता! मैं गाता, शून्य सुना करता! जब सबने मुझको छोड़ दिया, जब सबने नाता तोड़ लिया, यह पास चला मेरे आया सब रिक्त-स्थानों को भरता! मैं गाता, शून्य सुना करता! मेरे मन की दुर्बलता पर-- मेरी मानी मानवता पर-- हँसता तो है यह शून्य नहीं, यदि इस पर सिर न धुना करता! मैं गाता, शून्य सुना करता!

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