हुस्न-ए-काफ़िर-शबाब का आलम
हुस्न-ए-काफ़िर-शबाब का आलम सर से पा तक शराब का आलम अरक़-आलूद चेहरा-ए-ताबाँ शबनम-ओ-आफ़्ताब का आलम वो मिरी अर्ज़-ए-शौक़-ए-बेहद पर कुछ हया कुछ इताब का आलम अल्लाह अल्लाह वो इम्तिज़ाज-ए-लतीफ़ शोख़ियों में हिजाब का आलम हमा नूर-ओ-सुरूर की दुनिया हमा हुस्न-ओ-शबाब का आलम वो लब-ए-जूएबार ओ मौसम-ए-गुल वो शब-ए-माहताब का आलम ज़ानू-ए-शौक़ पर वो पिछले पहर नर्गिस-ए-नीम-ख़्वाब का आलम देर तक इख़्तिलात-ए-राज़-ओ-नियाज़ यक-ब-यक इज्तिनाब का आलम! लाख रंगीं-बयानियों पे मिरी एक सादा जवाब का आलम ग़म की हर मौज मौज-ए-तूफ़ाँ-ख़ेज़ दिल का आलम हुबाब का आलम दिल-ए-मुतरिब समझ सके शायद इक शिकस्ता रुबाब का आलम वो समाँ आज भी है याद 'जिगर' हाँ मगर जैसे ख़्वाब का आलम

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