यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

Read Next