मेरे दर्द में ये ख़लिश कहाँ मेरे सोज़ में ये तपिश कहाँ
मेरे दर्द में ये ख़लिश कहाँ मेरे सोज़ में ये तपिश कहाँ किसी और ही की पुकार है मिरी ज़िंदगी की सदा नहीं

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