जिसे सय्याद ने कुछ गुल ने कुछ बुलबुल ने कुछ समझा
जिसे सय्याद ने कुछ गुल ने कुछ बुलबुल ने कुछ समझा चमन में कितनी मानी-ख़ेज़ थी इक ख़ामुशी मिरी

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