फ़िक्र-ए-जमील ख़्वाब-ए-परेशाँ है आज-कल
फ़िक्र-ए-जमील ख़्वाब-ए-परेशाँ है आज-कल शायर नहीं है वो जो ग़ज़ल-ख़्वाँ है आज-कल

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