आप के दुश्मन रहें वक़्फ़-ए-ख़लिश सर्फ़-ए-तपिश
आप के दुश्मन रहें वक़्फ़-ए-ख़लिश सर्फ़-ए-तपिश आप क्यूँ ग़म-ख़्वारी-ए-बीमार-ए-हिज्राँ कीजिए

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