ये फ़लक ये माह-ओ-अंजुम ये ज़मीन ये ज़माना
ये फ़लक ये माह-ओ-अंजुम ये ज़मीन ये ज़माना तिरे हुस्न की हिकायत मिरे इश्क़ का फ़साना ये है इश्क़ की करामत ये कमाल-ए-शाइराना अभी मुँह से बात निकली अभी हो गई फ़साना ये मिरा पयाम कहना तू सबा मुअद्दबाना कि गुज़र गया है प्यारे तुझे देखे इक ज़माना मुझे चाक-ए-जेब-ओ-दामन से नहीं मुनासिबत कुछ ये जुनूँ ही को मुबारक रह-ओ-रस्म-ए-आमियाना तुझे हादसात-ए-पैहम से भी क्या मिलेगा नादाँ तिरा दिल अगर हो ज़िंदा तो नफ़स भी ताज़ियाना वो अदा-ए-दिलबरी हो कि नवा-ए-आशिक़ाना जो दिलों को फ़तह कर ले वही फ़ातेह-ए-ज़माना

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