सीने में अगर हो दिल-ए-बेदार-ए-मोहब्बत
हर साँस है पैग़मबर-ए-असरार-ए-मोहब्बत
वो भी हुए जाते हैं तरफ़-दार-ए-मोहब्बत
अच्छे नज़र आते नहीं आसार-ए-मोहब्बत
होश्यार हो ऐ बे-ख़ुद-ओ-सरशार-ए-मोहब्बत
इज़हार-ए-मोहब्बत! अरे इज़हार-ए-मोहब्बत
ता-देर न हो दिल भी ख़बर-दार-ए-मोहब्बत
इक ये भी है अंदाज़-ए-फ़ुसूँ-कार-ए-मोहब्बत
तौहीन-ए-निगाह-ए-करम-ए-यार कहाँ तक
दम लेने दे ऐ लज़्ज़त-ए-आज़ार-ए-मोहब्बत
सब फूँक दिए ख़ार-ओ-ख़स-ए-मज़हब-ओ-मिल्लत
अल्लाह-रे यक-शोला-ए-रुख़्सार-ए-मोहब्बत
कौनैन से क्या अहल-ए-मोहब्बत को सरोकार
कौनैन है ख़ुद हाशिया-बरदार-ए-मोहब्बत
जो अर्श की रिफ़अत को भी उस दर पे झुका दे
ऐसा भी कोई जज़्बा-ए-सरशार-ए-मोहब्बत
मैं ने इन्हें तारीक फ़ज़ाओं में भी अक्सर
देखे हैं बरसते हुए अनवार-ए-मोहब्बत
नासेह को है क्यूँ मेरी मोहब्बत से सरोकार
चेहरे से तो खुलते नहीं आसार-ए-मोहब्बत
मैं और ये नमकीन-ए-ग़म-ए-इश्क़ अरे तौबा
तू और ये एहसास-ए-गिराँ-बार-ए-मोहब्बत!
अब अर्ज़-ए-मोहब्बत की 'जिगर' क्यूँ नहीं जुरअत
वो सामने हैं गर्म है बाज़ार-ए-मोहब्बत