हुस्न के एहतिराम ने मारा
हुस्न के एहतिराम ने मारा इश्क़ बे-नंग-ओ-नाम ने मारा वादा-ए-ना-तमाम ने मारा रोज़ की सुब्ह ओ शाम ने मारा लरज़़िश-ए-दस्त-ए-शौक़ आह न पूछ लग़्ज़िश-ए-नीम-गाम ने मारा इश्क़ की सादगी तो एक तरफ़ शौक़ के एहतिमाम ने मारा अल्लाह अल्लाह नफ़्स की आमद ओ शुद इस पयाम ओ सलाम ने मारा इश्क़ मरता न अपनी मौत से आह आशिक़ान-ए-कराम ने मारा काश वो उम्र-ए-ख़िज़्र बन जाए जिन ख़यालात-ए-ख़ाम ने मारा मैं नहीं बिस्मिल-ए-ख़य्याम 'जिगर' हाफ़िज़-ए-ख़ुश-कलाम ने मारा

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