नई किताबें
नई नई किताबें पहले तो दूर से देखती हैं मुझे शरमाती हुईं फिर संकोच छोड़ कर बैठ जाती हैं फैल कर मेरे सामने मेरी पढ़ने की मेज़ पर उनसे पहला परिचय...स्पर्श हाथ मिलाने जैसी रोमांचक एक शुरुआत... धीरे धीरे खुलती हैं वे पृष्ठ दर पृष्ठ घनिष्ठतर निकटता कुछ से मित्रता कुछ से गहरी मित्रता कुछ अनायास ही छू लेतीं मेरे मन को कुछ मेरे चिंतन की अंग बन जातीं कुछ पूरे परिवार की पसंद ज़्यादातर ऐसी जिनसे कुछ न कुछ मिल जाता फिर भी अपने लिए हमेशा खोजता रहता हूँ किताबों की इतनी बड़ी दुनिया में एक जीवन-संगिनी थोडी अल्हड़-चुलबुली-सुंदर आत्मीय किताब जिसके सामने मैं भी खुल सकूँ एक किताब की तरह पन्ना पन्ना और वह मुझे भी प्यार से मन लगा कर पढ़े...

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