उत्केंद्रित?
मैं ज़िंदगी से भागना नहीं उससे जुड़ना चाहता हूँ। - उसे झकझोरना चाहता हूँ उसके काल्पनिक अक्ष पर ठीक उस जगह जहाँ वह सबसे अधिक बेध्य हो कविता द्वारा। उस आच्छादित शक्ति-स्त्रोत को सधे हुए प्रहारों द्वारा पहले तो विचलित कर फिर उसे कीलित कर जाना चाहता हूँ नियतिबद्ध परिक्रमा से मोड़ कर पराक्रम की धुरी पर एक प्रगति-बिन्दु यांत्रिकता की अपेक्षा मनुष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ...

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